आओ चलें..शिव के श्री नीलकंठेश्वर धाम पाली
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आओ चलें..शिव के श्री नीलकंठेश्वर धाम पाली
बुंदेलखंड के कस्बा पाली में विंध्याचल की खूबसूरत वादियों में चंदेलकालीन भगवान शिव की त्रिमुखी प्रतिमा स्थापित है , जिसमें भगवान सदाशिव अपनी तीन अलग- अलग मुद्राओं में अलंकृत अपने भक्तों को दर्शन दे रहे है । मंदिर को जाने के लिए एक सैकड़ा से ज्यादा सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है , तब जाकर आप मंदिर तक पहुंचेंगे , हालांकि सीढ़ियों की चढ़ाई के दौरान आपको कहीं थकान महसूस हो तो आधा सैकड़ा सीढ़ियों की चढ़ाई करने के बाद आप पास में जलकुंड का पानी पीकर वहां कुछ देर तक आराम भी फरमा सकते है । जैसे ही सीढ़ियों की चढ़ाई कर आप विंध्याचल की पहाड़ी पर पहुंचेंगे तो आपको चंदेलकालीन शिखर विहीन मंदिर के दर्शन होंगे । मंदिर में प्रवेश करते ही खुले आसमान के नीचे विराजे भोलेनाथ की सवारी नंदी महाराज के दर्शन होंगे , जैसे ही आप गर्भगृह में प्रवेश की ओर बढ़ेंगे तो गर्भगृह की दीवार पर आपको खुजराहो शैली के भित्ति चित्र मिलेंगे । इसके साथ ही मंदिर में प्रवेश करते ही आपको गर्भगृह में ठीक सामने भगवान शिव की त्रमुखी प्रतिमा के दर्शन होंगे , जिसमें काले बलुए पत्थर में भगवान शिव अपनी तीनों मुद्राओं में अपने दिव्य दर्शन देंगे । मंदिर के गर्भगृह के फर्श पर भगवान शिव का एकमुखी ज्योतिर्लिंग स्थापित है , जिसका अपना अलग ही महत्व है । इस ज्योतिर्लिंग लिंग को शिवभक्त अर्धनारीश्वर भगवान के रूप में भी पूजते है , जिसकी बजह महाशिवरात्रि पर्व पर इस ज्योतिर्लिंग के आधे भाग में भगवान शिव तो आधे भाग में माता पार्वती के स्वरूप में सजाया जाता है । मंदिर में जाने को दो रास्ते दरवाजे है लेकिन मेले की भीड़ देख एक रास्ता मंदिर में एक प्रवेश द्वार एक निकासी द्वार होगा । इसके साथ ही गुरवार दस जुलाई को यहां लोग गुरु व गोविंद की भक्ति में लीन होने के साथ मेले का भरपूर लुत्फ उठाएंगे । मेले में खरीदारी के लिए विभिन्न दुकानें होंगी …
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