
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को वार्षिक कांवर यात्रा से पहले सख्त निर्देश जारी किए। उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने और श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने पर जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यात्रा मार्ग पर मांस की खुली बिक्री न हो और दुकानदार अपनी दुकानों पर अपने नाम स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करें, जैसा कि पिछले वर्षों में अनिवार्य था।
मुख्यमंत्री योगी ने चेतावनी दी कि असामाजिक तत्व छद्म रूप में यात्रा में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद है. उन्होंने अधिकारियों को यह भी आदेश दिया कि धार्मिक जुलूस के दौरान किसी भी व्यवधान को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता किया जाए।
बता दें कि कांवर यात्रा नेम प्लेट विवाद उत्तर प्रदेश से ही शुरू हुआ था, जब पिछले वर्ष कांवर यात्रा मार्ग पर दुकानों और खाने-पीने की दुकानों के मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने को अनिवार्य किया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस निर्देश को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और कांवरियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए जरूरी बताया। सरकार का कहना था कि यह कदम यात्रियों को खाने की शुद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया, ताकि कांवरियों को उनके विश्वास के अनुसार भोजन मिले।
हालांकि, इस फैसले की विपक्षी दलों और कुछ गठबंधन सहयोगियों (जैसे जेडी(यू) और आरएलडी) ने आलोचना की, इसे मुस्लिम और दलित व्यापारियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाला बताया। आलोचकों का कहना था कि यह आदेश धार्मिक और जातिगत आधार पर बहिष्कार को बढ़ावा देता है। कुछ ने इसे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ और सामाजिक विभाजन को बढ़ाने वाला माना, इसे नाज़ी जर्मनी जैसे हालात से भी जोड़ा।
22 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और मध्य प्रदेश सरकारों के इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपने या अपने कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें केवल यह बताना होगा कि वे किस प्रकार का भोजन (शाकाहारी या मांसाहारी) परोस रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तारीख तय की और बाद में 5 अगस्त 2024 को अगली सुनवाई की।
इस विवाद में कुछ मुस्लिम संगठनों, जैसे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, ने इस आदेश का समर्थन किया और कहा कि यह पारदर्शिता और सामाजिक सौहार्द के लिए है। वहीं, कई स्थानीय व्यापारियों, खासकर मुस्लिम दुकानदारों, ने इस आदेश से डर और आर्थिक नुकसान की बात कही, कुछ ने अपने मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने की भी बात बताई।
कांवर यात्रा में हिंदू-मुस्लिम एकता की परंपरा रही है, जहां मुस्लिम परिवार कांवर बनाने और यात्रा से जुड़े अन्य कामों में हिस्सा लेते हैं। इस आदेश को लेकर उठा विवाद इस सामंजस्य को प्रभावित करने वाला माना गया। सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद यह रोक अभी भी जारी है, और मामला कोर्ट में विचाराधीन है।