
बल्लेबाज़ एडन मारक्रम के शतक की बदौलत दक्षिण अफ़्रीका का पिछले 27 साल से चला आ रहा आईसीसी ट्रॉफ़ी का सूखा ख़त्म हो गया. लॉर्ड्स में दक्षिण अफ़्रीका ने आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हरा दिया.
दक्षिण अफ़्रीका ने साल 1998 में आईसीसी नॉकआट ट्रॉफ़ी को जीता था, जिसे बाद में चैंपियंस ट्रॉफ़ी का नाम दिया गया. इसके बाद से लगातार उसके प्रयासों पर पानी फिरता रहा और टीम के ऊपर चोकर्स का टैग लग गया. अब इस सफलता से सालों से चिपका हुआ यह टैग भी हट गया है.
दुनिया की किसी भी टीम ने दक्षिण अफ़्रीका की तरह दो ट्रॉफ़ियों के बीच इतना लंबा इंतज़ार नहीं किया है.
इस मामले में दक्षिण अफ़्रीका के बाद वेस्ट इंडीज़ है, जिसने साल 1979 में आईसीसी वनडे विश्व कप के 25 साल बाद चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीती थी.
एडन मारक्रम बने जीत के हीरो
दक्षिण अफ़्रीका को जब जीत के लिए पांच रन की ज़रूरत थी, तब वह हेज़लवुड की गेंद को लेग साइड पर खेलने के प्रयास में ट्रेविस हेड के हाथों कैच आउट हो गए. लेकिन तसल्ली इस बात की थी कि उस समय तक अफ़्रीकी टीम की जीत लगभग पक्की हो चुकी थी.
मारक्रम ने ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ बनने पर कहा, “लॉर्ड्स के मैदान पर हर खिलाड़ी अच्छा खेलना चाहता है और इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण रन मैंने कभी नहीं बनाए. पहली पारी में शून्य पर आउट होना और फिर ऐसा कुछ कर जाना, निश्चित ही क्रिकेट के लिए अद्भुत और अविश्वसनीय है.”
बवूमा की पारी सालों-साल याद रहेगी

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टेम्बा बवूमा ने जिस दिलेरी से पारी खेली, उसकी भी जीत में बड़ी भूमिका है. वह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में सबसे ज़्यादा 66 रन बनाने वाले कप्तान बन गए हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड न्यूजीलैंड के केन विलियमसन को हासिल था.
बवूमा की पारी का इसलिए ख़ास महत्व है कि दूसरे दिन टी ब्रेक से पहले वह बाएं पैर में हैमस्ट्रिंग की समस्या से जूझ रहे थे. लेकिन उन्होंने पेवेलियन लौटने के बजाय देश के लिए इतिहास बनाने में योगदान देने का फै़सला किया.
उन्होंने दर्द होने पर भी विकेट के बीच दौड़ लगाने में कोई लापरवाही नहीं बरती. उन्होंने अपनी 66 रन की पारी में 46 रन दौड़कर लिए, जिसमें से 39 रन चोटिल होने के बाद दौड़े. यह उनके ख़िताब जीतने के जज़्बे को दिखाता है. बवूमा ने मारक्रम के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 147 रन जोड़कर जीत में अहम भूमिका निभाई.
टेम्बा बवूमा को इस कम अनुभव वाली टीम को विजेता में बदलने का श्रेय जाता है. दक्षिण अफ़्रीका को जब 2023-24 में न्यूज़ीलैंड का दौरा करना था, तब सभी सीनियर खिलाड़ी दौरे पर नहीं जा पाए और सिरीज़ में साउथ अफ़्रीका को हार का सामना करना पड़ा. फिर उसी टीम को बवूमा ने चैंपियन टीम में बदल दिया है.




