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पाली में छुट्टा जानवरों का आतंक — इलाज के दौरान मीरा सेन की मौत, आखिर जिम्मेदार कौन?

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पाली में छुट्टा जानवरों का आतंक — इलाज के दौरान मीरा सेन की मौत, आखिर जिम्मेदार कौन?

पाली (ललितपुर)।
पाली नगर में छुट्टा आवारा जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। नगर की एक बुजुर्ग महिला मीरा पत्नी स्व. भगवत सेन को 30 अगस्त को एक छुट्टा सांड ने बुरी तरह घायल कर दिया था। यह घटना नगर के जैन मंदिर के पास की बताई जा रही है, जब मीरा सेन जवारे देख रही थीं। तभी अचानक सड़क पर घूम रहे सांड ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें जमीन पर पटक दिया।

घटना के तुरंत बाद आसपास के लोगों ने बड़ी मुश्किल से सांड को भगाया और घायल मीरा सेन को उपचार के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उनकी गंभीर हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने ललितपुर , ललितपुर से झांसी मेडीकल, झांसी मेडीकल से उन्हें ग्वालियर रेफर कर दिया। चार दिनों तक चली जिंदगी और मौत की जंग के बाद आखिरकार मीरा सेन ने ग्वालियर में अंतिम सांस ली।

मीरा सेन, नगर के प्रतिष्ठित परिवार से थीं और मनमोहन सेन, ब्रजनन्दन सेन तथा राघवेन्द्र सेन की माता थीं। उनके निधन की खबर से पूरे नगर में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार और स्थानीय नागरिकों ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए नगर प्रशासन से तीखा सवाल किया है कि —

“आखिर मीरा की मौत का जिम्मेदार कौन है?”

नगरवासियों ने बताया कि पाली में कान्हा गौशाला का संचालन अभी तक शुरू नहीं हुआ है, जिसके कारण सैकड़ों की संख्या में आवारा जानवर सड़कों पर खुलेआम घूमते रहते हैं। ये जानवर न सिर्फ यातायात में बाधा डालते हैं बल्कि आए दिन लोगों को घायल भी कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों ने कहा कि कई बार प्रशासन से शिकायतें की गईं, परंतु अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि समय रहते नगर में गौशाला शुरू कर दी जाती, तो शायद मीरा सेन की जान बचाई जा सकती थी।

परिजनों और नगर के लोगों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द कान्हा गौशाला शुरू की जाए, सड़कों पर घूम रहे छुट्टा पशुओं को पकड़कर वहां रखा जाए और इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।

मीरा सेन के निधन पर नगर के समाजसेवियों, व्यापारियों और जनप्रतिनिधियों ने गहरा दुख व्यक्त किया है और परिवार को इस असहनीय क्षति पर संवेदना जताई है।

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