शिव महापुराण कथा श्रवण व शिव भक्ति के लिए पहले अहंकार दूर करना होगा। क्योकि जब तक अहंकार होता है तक भोलनाथ प्रसन्न नही होते है। जिस प्रकार आदि देव महादेव को भोलेनाथ कहा जाता है उसी उनको भक्त भी भोले पसंद है। जब तक अहंकार दूर नही होगा तब तक शिव की भक्ति प्राप्त होना कठिन है।
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शिव की प्राप्ति के लिए अहंकार त्यागना होगा
ललितपुर। यह बात राय परिवार द्वारा की ओर से श्री शिव महापुराण का आयोजन किया जा रहा है जिसका आज छठवां दिवस था। ललितपुर जनपद के आजादपुरा में पानी की टंकी के पास मे चल रही शिव महापुराण कथा के छठे दिन मंगलवार को वृन्दावन धाम के पं. श्री रत्नेश चतुर्वेदी जी महाराज ने कही।
शिव कथा सुनाते हुए कहा कि शिव और पार्वती के दो पुत्र हुए एक का नाम कार्तिकेय और दूसरे का नाम गणेश है। कार्तिकेय पुरुषार्थ का प्रतीक माना गया है। पुराणों में श्री गणेश की अनेक कथाएं प्राप्त होती हैं। एक कल्प में साक्षात श्रीकृष्ण उनके पुत्र बनते हैं दूसरे कल्प में पार्वती के उद्घटन से उनकी उत्पत्ति होती है। एक कल्प में शनि की दृष्टि से सिर कटता है और दूसरे में स्वयं शिवजी सिर काटते हैं। माता के कोप से बचने के लिए हाथी का सिर जोड़ा जाता है। हाथी का सिर बड़ा होता है लेकिन आंखें छोटी होती हैं। यह सूक्ष्म दृष्टि का प्रतीक है। हमारी दृष्टि सूक्ष्म होनी चाहिए। कान सूप के जैसे मानो फालतू बात गणेश नहीं सुनते। एक दांत अर्थात जो बात कह दिया उसमें अटल रहते हैं और लम्बी नाक होना प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
कथा व्यास ने कहा कि जहां पर सूक्ष्म दृष्टि होती है। वहां विघ्न नही होता है और जहां विघ्न बाधा न हो तो वहीं ऋद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ का सदैव आगमन होता है।संयोजक राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘गुरुजी’ ने बताया कि कथा 18 जून तक प्रतिदिन शाम 4:00 बजे से सायं 7 बजे तक होगी। 18 जून को भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा शिव पुराण पूजन, हवन पूर्णाहुति कन्या भोज एवं भण्डारा होगा। कथा आयोजक एवं कथा व्यास पं. श्री महेश प्रसाद चतुर्वेदी, पं. श्री रत्नेश चतुर्वेदी कथा संरक्षक एवं कथा संगीतकार पं. श्री दयाराम तिवारी और कथा यजमान गनेशप्रसाद राय, शीला देवी राय। इस अवसर पर रामसेवक राय, श्रीराम राय, राजेश, वृन्दावन, सुनील, सुरेन्द्र, अनन्त राम, महेन्द्र, जगदीश, धर्मेंद्र, ब्रजेश, राजेन्द्र, जगभान, अभिमन्यु, ध्रुव, लक्ष्य, जतिन, देव, एकलव्य, स्वर्णिम, अयांश, यथार्थ,कुसुम देवी, लीला देवी, गुड्डी देवी, रेखा, रजनी रश्मि कल्पना अभिलाष विनीता प्रति समान रुचि रागनी प्रभा, साक्षी, दीपाली, आयुषी, स्वयंभि, शिक्षा, नैंसी, हिमांशी, अग्रिमा, अनन्या, रिद्धिमा, शान्वी, अपर्णा, श्रेयांवी आदि के कथा श्रवण की